Aditya L1 Mission: ISRO ने फिर रचा इतिहास, भारत के लिए क्यों जरुरी है यह सोलर मिशन

Aditya L1 Mission: चंद्रयान की सफलता के बाद भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने सूर्य मिशन आदित्य-एल1 को सूर्य के Halo Orbit में स्थापित कर के एक और इतिहास रच दिया है। अंतरिक्षयान लैग्रांजियन पॉइंट (L1) पर 6 जनवरी  2024 को शाम 04.00 बजे (approx) पहुँच गया। इसरो द्वारा इसे 2 सितंबर 2023 को लांच व्हीकल पीएसएलवी-सी57 (PSLV-C57) द्वारा सतीश धवन स्पेस सेंटर से सफलतापूर्वक लॉन्च किया गया था। लांच के बाद इसे अंतिम बिंदु पर पहुंचने में 126 दिन लगे है। यहां लगभग 5 साल तक रहेगा और सूर्य के बारे में स्टडी करेगा।

आदित्य एल1 मिशन क्या है ?

Aditya L1 Mission मिशन भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) का एक प्रमुख अंतरिक्ष मिशन है जो सूर्य की सतह तक यात्रा करने का प्रयास करेगा। इस मिशन का उद्देश्य सूर्य की एक विशेष तंतुक्रम पर अंतरिक्ष यान को पहुंचाना है, जिसे आदित्य एल1 या लगरेंज पॉइंट 1 (L1) कहा जाता है।

Aditya L1 Mission मिशन का मुख्य उद्देश्य सूर्य की कोरोना, उसके ऊपरी विकिरण और मैगनेटिक फ़ील्ड को अध्ययन करना है। यह मिशन भारत को अंतरिक्ष अनुसंधान में एक महत्वपूर्ण भूमिका में रखने का प्रयास कर रहा है और सूर्य तंतुक्रमों की अध्ययन के माध्यम से नई जानकारी प्राप्त करने का लक्ष्य है।

आदित्य एल1 मिशन के तहत एक उपग्रह को सूर्य के L1 पॉइंट पर स्थिति देने का प्रयास किया जाएगा, जिससे सूर्य के प्रति बेहतर दृष्टिकोण से अध्ययन किया जा सकता है।

Aditya L1 Mission: ISRO ने फिर रचा इतिहास, भारत के लिए क्यों जरुरी है यह सोलर मिशन

आदित्य-एल1 मिशन का उद्देश्य:

आदित्य-एल1 मिशन का उद्देश्य सौर कोरोना (Solar Corona), प्रकाशमंडल (Photosphere), क्रोमोस्फीयर (Chromosphere) और सौर पवन (Solar Wind) के बारे में मूल्यवान जानकारी जुटाना है। आदित्य एल-1 से सौर तूफानों के आने की वजह, सौर लहरों और उनका पृथ्वी के वायुमंडल पर असर का अध्ययन करने में सहायक होगा।  इसके साथ ही आदित्य-एल1 सूर्य के विकिरण, ऊष्मा, कण प्रवाह तथा चुंबकीय क्षेत्र, सूरज के कोरोना से निकलने वाली गर्मी और गर्म हवाओं का अध्ययन भी करेगा जिससे सौर वायुमंडल को समझने में मदद मिलेगी।

आदित्य-एल1 मिशन पेलोड:

आदित्य एल-1 पर कुल सात पेलोड तैनात हैं। सूर्य की एक्टिविटी पर नजर रखने के लिए विजिबल एमिशन लाइन कोरोनोग्राफ (वीईएलसी), सोलर अल्ट्रावॉयलेट इमेजिंग टेलीस्कोप (सूइट), सोलर लो एनर्जी एक्स-रे स्पेक्ट्रोमीटर (सोलेक्सस), हाई-एनर्जी एल1 ऑर्बिटिंग एक्स-रे स्पेक्ट्रोमीटर (हेल1ओएस) शामिल हैं। वहीं, तीन मापने वाले उपकरण हैं, जिनमें आदित्य सोलर विंड पार्टिकल एक्सपेरिमेंट (एएसपीईएक्स), प्लाज्मा एनालाइजर पैकेज फॉर आदित्य (पीएपीए), और एडवांस थ्री डाइमेंशनल हाई रिजोल्यूशन डिजिटल मैग्नेटोमीटर (एटीएचआरडीएम) शामिल हैं।

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हेलो ऑर्बिट और लगरेंज पॉइंट क्या होता है:

हेलो ऑर्बिट, लगरेंज पॉइंट (Lagrangian point) के चारमुखी यानी L1, L2, L3, और एल4, एल5 पॉइंट्स के आस-पास के इलाके को हेलो ऑर्बिट कहा जाता है। इन पॉइंट्स पर स्थित अंतरिक्ष यानों को नेतृत्व करने के लिए यह विशेष तरह की वृत्ताकार कक्षा को “हेलो ऑर्बिट” कहा जाता है। लैग्रेंज पॉइंट्स अंतरिक्ष में वे विशेष स्थान हैं जहाँ सूर्य और पृथ्वी जैसे दो बड़े परिक्रमा करने वाले पिंडों की गुरुत्वाकर्षण शक्तियाँ एक-दूसरे को संतुलित करती हैं। L1 को सौर अवलोकन के लिये लैग्रेंज बिंदुओं में सबसे महत्त्वपूर्ण माना जाता है।

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आदित्य-एल1 का महत्त्व:

सूर्य हमारे सौर मंडल का केंद्र है और इसकी विशेषताएँ अन्य सभी खगोलीय पिंडों के व्यवहार को काफी प्रभावित करती हैं। सूर्य का अध्ययन करने से हमें सौर मंडल के आस-पास की गतिशीलता को समझने में सहायता मिल सकती है।

Aditya L1 Mission की प्रमुख बातें:

1) 2 सितंबर 2023 को शुरू हुई आदित्य की यात्रा अब अपने मिशन पर 6 जनवरी  2024 को शाम 04.00 बजे (approx) पहुँच गया।

2) इस मिशन पर कुल 400 करोड़ रुपए का खर्च आया है।

3) आदित्य-एल1, 1.5 मिलियन किलोमीटर की दूरी से सूर्य का अध्ययन करने वाला पहला अंतरिक्ष आधारित वेधशाला श्रेणी का भारतीय सौर मिशन है।

4) ये मिशन लगभग 5 साल तक रहेगा और सूर्य के बारे में स्टडी करेगा।

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